महान संत गुरु नानक जी : दस प्रमुख शिक्षाएं

सिख धर्म के प्रवर्तक महान संत गुरु नानक जी की 555 वीं जयंती आज देश- विदेश  में उल्लास पूर्व  मनाई जा रही है. आइये जानते हैं गुरु नानक जी की दस प्रमुख शिक्षावों के बारें में –

गुरु नानक जी की 10 प्रमुख शिक्षाएं

एक ओंकार (एक ईश्वर): गुरु नानक ने सिखाया कि केवल एक ईश्वर है, जो सभी लोगों के लिए समान है, चाहे उनका धर्म कोई भी हो। यह सार्वभौमिक ईश्वर मानव रूप, जाति और पंथ से परे है।

सभी की समानता: उन्होंने जाति, लिंग या सामाजिक स्थिति के बावजूद सभी लोगों के बीच समानता पर जोर दिया। उन्होंने जाति व्यवस्था को खारिज कर दिया और वकालत की कि ईश्वर की नजर में सभी समान हैं।

ईमानदारी से जीना (किरत करनी): गुरु नानक ने कड़ी मेहनत और नैतिक साधनों के माध्यम से एक ईमानदार और सच्चा जीवन जीने को प्रोत्साहित किया। उन्होंने सिखाया कि किसी को दूसरों का शोषण या धोखा दिए बिना ईमानदारी से आजीविका अर्जित करनी चाहिए।

दूसरों के साथ साझा करना (वंड चकना): उन्होंने जरूरतमंदों के साथ साझा करने, करुणा और उदारता को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया। उनका मानना ​​था कि सच्चा धन दूसरों की मदद करने और उनका उत्थान करने में निहित है।

निस्वार्थ सेवा (सेवा): मानवता की निस्वार्थ सेवा करना और जरूरतमंदों की मदद करना गुरु नानक की शिक्षाओं का केंद्र था। उन्होंने सिखाया कि दूसरों की सेवा करना ईश्वर की पूजा करने का एक तरीका है।

ईश्वर की इच्छा को स्वीकार करना (हुकम): गुरु नानक ने ईश्वर की इच्छा को स्वीकार करना सिखाया, लोगों से ईश्वर की योजना पर भरोसा करने और कठिन समय में भी संतुष्ट रहने का आग्रह किया।

ईश्वर के नाम पर भक्ति और ध्यान (नाम जपना): नियमित ध्यान, स्मरण और ईश्वर के नाम का जाप सिख धर्म में आवश्यक अभ्यास हैं, जिसका उद्देश्य आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शांति को बढ़ावा देना है।

करुणा और विनम्रता: गुरु नानक ने करुणा और विनम्रता को आवश्यक गुणों के रूप में महत्व दिया, लोगों को सभी के प्रति दयालु, सौम्य और सम्मानजनक होने के लिए प्रोत्साहित किया।

अहंकार से बचना (हौमई): अहंकार को आध्यात्मिक विकास में एक बड़ी बाधा के रूप में देखा जाता है। गुरु नानक ने सिखाया कि विनम्रता व्यक्तियों को ईश्वर और दूसरों से जुड़ने में मदद करती है, जबकि अहंकार उन्हें दूर करता है।

अंधविश्वासों और अनुष्ठानों को अस्वीकार करना: उन्होंने कर्मकांडों, अंधविश्वासों और अंधविश्वासों को हतोत्साहित किया, प्रेम, प्रार्थना और अच्छे कर्मों के माध्यम से ईश्वर के साथ सीधे, व्यक्तिगत संबंध पर जोर दिया।

गुरु नानक देव जी की ये शिक्षाएं सिख दर्शन की आधारशिला हैं और दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करती रहती हैं।

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